लुणकरणसर मेले के जश्न के बीच सहजरासर गांव में 200 फीट का गड्ढा!

घटना का विवरण:

सहजरासर गांव में 200 फीट का गड्ढा:

यह घटना रविवार शाम को हुई जब ग्रामीणों ने ज़मीन से एक ज़ोरदार धमाका सुना। धमाके के बाद, उन्होंने देखा कि ज़मीन का एक बड़ा हिस्सा धंस गया है। गड्ढा लगभग 200 फीट चौड़ा और 50 फीट गहरा है।

भाग्यवश, इस घटना में कोई घायल नहीं हुआ।सहजरासर गांव में 200 फीट का गड्ढा:

घटना के कारणों की जांच जारी है।

स्थानीय लोगों का अनुमान है कि ज़मीन धंसने का कारण भूजल का अत्यधिक दोहन हो सकता है।

इस क्षेत्र में कृषि के लिए भूजल का अत्यधिक उपयोग किया जाता है।

विशेषज्ञों का कहना है कि ज़मीन धंसने का कारण भूगर्भीय गतिविधि भी हो सकती है।

फिलहाल, अधिकारियों ने इस क्षेत्र में लोगों को जाने से मना कर दिया है।

इस घटना से ग्रामीणों में भय का माहौल है।

लोगों को डर है कि ज़मीन धंसने की यह घटना उनके घरों और खेतों को भी प्रभावित कर सकती है।

अधिकारियों ने लोगों को आश्वस्त किया है कि वे इस घटना की जांच कर रहे हैं और जल्द ही उचित कार्रवाई करेंगे।

यह घटना पर्यावरणीय क्षरण और अत्यधिक भूजल दोहन के खतरों पर प्रकाश डालती है।

हमें प्रकृति के साथ तालमेल बनाकर रहना होगा और उसके संसाधनों का विवेकपूर्ण उपयोग करना होगा।

केवल तभी हम एक टिकाऊ और सुरक्षित भविष्य सुनिश्चित कर सकते हैं।

इस घटना से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण बिंदु:

  • स्थान: लुनकरणसर रै, सहजरासर गांव, बीकानेर, राजस्थान
  • तारीख: 23 अप्रैल, 2024
  • घटना: 200 फीट जमीन धंसी
  • कारण: भूजल का अत्यधिक दोहन या भूगर्भीय गतिविधि (अभी जांच जारी)
  • प्रभाव: कोई घायल नहीं हुआ, लेकिन लोगों में भय का माहौल
  • उपाय: अधिकारियों ने जांच शुरू की, लोगों को क्षेत्र में जाने से मना किया

 

लगातार धँसती ज़मीन: चिंता का विषय

पिछले कुछ दशकों में, थार मरुस्थल के कुछ हिस्सों में ज़मीन धीरे-धीरे धंसने की घटना देखी जा रही है। ज़मीन के नीचे के जल का अत्यधिक दोहन, खासकर कृषि के लिए, इस घटना का मुख्य कारण माना जाता है जिसे भू-धंसाव के नाम से जाना जाता है। जैसे-जैसे भूजल का स्तर कम होता जाता है, वैसे-वैसे ऊपर की मिट्टी और चट्टानों का भार ज़मीन को नीचे धकेलता है।

तेज़ गर्मी की लहरें: एक गंभीर कारक

धँसती ज़मीन की समस्या को और बढ़ाती है इस क्षेत्र की अत्यधिक गर्मी। थार मरुस्थल अपनी तीखी गर्मियों के लिए जाना जाता है, जहाँ तापमान नियमित रूप से 50 डिग्री सेल्सियस से अधिक हो जाता है। हाल ही में हुई गर्मी की लहरें विशेष रूप से गंभीर रही हैं, जो इस क्षेत्र के निवासियों के लिए स्वास्थ्य के लिए एक महत्वपूर्ण जोखिम है।

गर्मी की लहरों के प्रभाव को कम करना

गर्मी की लहरों के प्रभाव को कम करने के लिए पेड़ लगाना, शीतल गृहों का निर्माण और ठंडा पेयजल उपलब्ध कराना जैसे उपाय आवश्यक हैं। साथ ही, लोगों को गर्मी से संबंधित बीमारियों के बारे में शिक्षित करना और बचाव के उपायों को बढ़ावा देना जान बचाने में मदद कर सकता है।

त्योहारी दिन का दुःस्वप्न

यह घटना रविवार शाम को हुई, ठीक उसी समय जब लुणकरणसर का जश्न चरम पर था। लुणकरणसर, विक्रम संवत् कैलेंडर के अनुसार नये साल की शुरुआत को चिह्नित करने वाला फसल उत्सव है। ग्रामीणों ने एक तेज धमाके की आवाज सुनी, जिसके बाद उन्होंने जमीन के अंदर धंसने का भयानक दृश्य देखा। जमीन धंसने से बना गड्ढा एक विशाल खाई है, जो लगभग 200 फीट व्यास का है और 50 फीट गहरा है।

किस्मत से कोई हताहत नहीं हुआ, लेकिन कारण अनिश्चित

गनीमत यह रही कि इस भयानक घटना में कोई घायल नहीं हुआ। हालांकि, अचानक जमीन धंसने का कारण अभी भी जांच के अधीन है। ग्रामीणों को शक है कि कृषि के लिए अत्यधिक भूजल दोहन इसका कारण हो सकता है – जो इस शुष्क क्षेत्र में एक आम चिंता है। वहीं विशेषज्ञों ने भूमिगत भौगोलिक गतिविधि की संभावना को भी नहीं खारिज किया है।

सुरक्षा उपाय और बढ़ी हुई चिंता

एहतियात के तौर पर अधिकारियों ने इस क्षेत्र को घेर लिया है, ताकि किसी भी तरह की दुर्घटना को रोका जा सके। इससे स्वाभाविक रूप से ग्रामीणों में काफी दहशत है। आस-पास के घरों और खेतों को संभावित संरचनात्मक क्षति का डर समुदाय पर अनिश्चितता का साया डाले हुए है।

आधिकारिक आश्वासन और पर्यावरण जागरूकता का आह्वान

अधिकारियों ने जनता को पूरी जांच और जांच के आधार पर त्वरित कार्रवाई का आश्वासन दिया है। यह घटना पर्यावरण क्षरण और अत्यधिक संसाधन उपयोग के परिणामों की कठोर याद दिलाती है। यह प्रकृति के साथ संतुलन बनाने और उसके संसाधनों का विवेकपूर्ण उपयोग करके एक सुरक्षित भविष्य सुनिश्चित करने के महत्व को रेखांकित करता है।

स्थानीय प्रभाव से परे

इस विशाल गड्ढे की खबर ने राष्ट्रीय ध्यान आकर्षित किया है, जिससे जिम्मेदार भूमि उपयोग प्रथाओं और भूजल दोहन पर सख्त नियमों की सख्त जरूरत पर चर्चा शुरू हो गई है। विशेषज्ञ संवेदनशील क्षेत्रों की पहचान करने के लिए भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण करने और इसी तरह की त्रासदियों को रोकने के लिए सक्रिय उपायों को लागू करने के महत्व पर जोर देते हैं।

कार्रवाई का आह्वान

सहजरासर की घटना सरकार, पर्यावरण संगठनों और जनता – सभी हितधारकों के लिए एक चेतावनी है। यह सतत विकास को बढ़ावा देने और हमारे प्राकृतिक संसाधनों की रक्षा करने के लिए सहयोगात्मक प्रयासों की आवश्यकता को रेखांकित करता है। केवल जिम्मेदारीपूर्ण उपयोग और संरक्षण के माध्यम से ही हम ऐसे पर्यावरणीय आपदाओं से मुक्त भविष्य का निर्माण कर सकते हैं।

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